बरगद की छांव हैं पिता
बरगद कि छांव हैं पिता
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जैसे हर एक राही को,
छांव बरगद हे देता।
वैसे ही पिता का साया,बच्चों को!
खुशियों से भर देता।।
पिता ही तो हैं हमारे सुख-दुख को,
बांटने वाले—
जरा भी कष्ट हों बच्चों को,
जमीं आसमां एक कर डाले।।
पिता कि छांव से हम सबको,
सुख सारे है मिल पाते।
कभी कोई कांटा चुभे बच्चों के,
पिता फूल है बन जाते ।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर