बरखा
छाई घटा घनघोर
नाचे वन में मोर
देखो बरखा का जोर
शाम हो या होवे भोर
फैली हरियाली चहुँ ओर
ललचाए मन का चोर
सुनो पवन का शोर
हवा पेड़ों को रही झकझोर
प्रियतम बंँधी प्रेम की डोर
पंछी ढूंढ़ें अपना ठौर
ओम यह बरखा का दौर
ओम प्रकाश भारती ओम्
छाई घटा घनघोर
नाचे वन में मोर
देखो बरखा का जोर
शाम हो या होवे भोर
फैली हरियाली चहुँ ओर
ललचाए मन का चोर
सुनो पवन का शोर
हवा पेड़ों को रही झकझोर
प्रियतम बंँधी प्रेम की डोर
पंछी ढूंढ़ें अपना ठौर
ओम यह बरखा का दौर
ओम प्रकाश भारती ओम्