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24 Dec 2021 · 1 min read

बनी माता जब पहली बार

बनी जब माता पहली बार

गई सब अठखेलियां और,
यौवन का सब अल्हड़पन।
नदी से बहती जा रही,
भूल गया मधुर बचपन।

मैं उस डार की चिड़िया थी,
जो दूर देश आ जाती है।
छोड़ बाबुल की आंगन -गलियां,
ससुराल अपना बसाती है।

छोड़ पुराने रिश्ते -नाते,
नए रिश्ते अपनाती है।
सुख-दुख सब सह कर,
मुख मुस्कान दर्शाती है।

जीवन के महासागर में
उतार चढ़ाव आते हजार।
अति प्रसन्नता तब मिली,
बनी माता जब पहली बार।

प्रसव पीड़ा सब भूल गई,
खुशी मिली थी अति अपार।
नव शिशु के पहले रुदन से,
मंगल छाया आंगन द्वार।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 353 Views
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