बदल दो फिर परिवेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
मिले पुनः सर्वेश कबीरा।
चलो तलाशें फिर मिल-जुल कर,
उन्हें बुला लें मार्ग बदलकर,
मैला दामन श्वेत कबीरा।
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
चहुँदिशि लुप्त हुआ अपनापन,
जातिवाद से पगा दिखे मन
जन्म तो लो दरवेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
संत-गुरू चोला बदले हैं
अर्थ रीतियों के धुंधले हैं
फिर से दो संदेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
अपनों की बातें थोथी हैं
रिश्तों की साँसें छोटी हैं
गढ़ो नया एक देश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
अब अस्तित्व भी खतरे मेंं है
हर कोई अब सदमें मे है
प्रेम बचा लवलेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ