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30 Jul 2021 · 1 min read

बदल दे किस्मतों को तू…

तककलुफ् क्या तुझे, हाथों को क्यूँ बाँधे खड़ा है तू
गलत था मान ले, क्यूँ बेवजह जिद पे अड़ा है तू
ये जो संसार है सारा, तुझे है जीतना इसको
बदलता वक़्त है, सांसो को क्यूँ थामे पड़ा है तू।
जो यादें आँसू लाती हैं, उन्हें क्यूँ याद करता है
जो नामुमकिन है उसकी ही, तू क्यूँ फरियाद करता है
समां रंगीन है बाहर, न जाने कितने मौके हैं
उस बीते दौर के पीछे, अभी तक क्यूँ पड़ा है तू।
अभी तक हार के गम में तू छिपाए मुँह क्यूँ बैठा है
सफर की ओर रुख करके क्या कोई पीछे लौटा है
है तुझमें शक्ति और हिम्मत, बदल दे किस्मतों को तू
समय है दौड़ जा, रस्ते में अब तक क्यूँ खड़ा है तू।

– मानसी पाल ‘मन्सू’

Language: Hindi
3 Likes · 7 Comments · 252 Views
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