Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2020 · 1 min read

बदल गया इंसान

सतयुग बीता, त्रेता बीता, द्वापरयुग भी बीत गया ।
धीरे-धीरे मानव मन भी मानवता से रीत गया ।
आज वो अपने स्वारथ हेतु रिश्ते नाते भूल गया ।
मात पिता ने लाड़ प्यार से पाला पोसकर बड़ा किया ।
पढ़ा लिखाकर उनको अपने पैरौं पर खड़ा किया ।
लगा कमाने बेटा , अब न मात पिता को आश्रय दिया ।
सेवा तो कुछ किया नहीं , उनको वृद्धाश्रम भेज दिया ।
एक राम था जिसने पितृ आज्ञा से चौदह वर्ष वनवास लिया ।
खाकर वन के कंद मूल फल , दुष्टों का संहार किया ।
आज के राम ने जनक औ जनता के भरोसे का संहार किया ।
हे ” ओम ” तू कितना बदल गया है , इंसानियत को भूल गया ।
ओमप्रकाश भारती ” ओम् “

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
View all
You may also like:
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
पूर्वार्थ
रंगमंच
रंगमंच
Ritu Asooja
परमात्मा
परमात्मा
ओंकार मिश्र
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
Poonam Matia
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
Krishna Manshi
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
आकाश महेशपुरी
नज़रें बयां करती हैं, लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं, लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
इंसान बनने के लिए
इंसान बनने के लिए
Mamta Singh Devaa
अ
*प्रणय*
उल्फत का दीप
उल्फत का दीप
SHAMA PARVEEN
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िंदगी हम भी
ज़िंदगी हम भी
Dr fauzia Naseem shad
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
"विजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
**प्यार भरा पैगाम लिखूँ मैं **
**प्यार भरा पैगाम लिखूँ मैं **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Empty pocket
Empty pocket
Bidyadhar Mantry
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
विकृतियों की गंध
विकृतियों की गंध
Kaushal Kishor Bhatt
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा  !
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
DrLakshman Jha Parimal
कौन कितने पानी में है? इस पर समय देने के बजाय मैं क्या कर रह
कौन कितने पानी में है? इस पर समय देने के बजाय मैं क्या कर रह
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मोतियाबिंद
मोतियाबिंद
Surinder blackpen
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
किसी और के संग ऐसा मत करना
किसी और के संग ऐसा मत करना
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
3429⚘ *पूर्णिका* ⚘
3429⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
Shweta Soni
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
Sarfaraz Ahmed Aasee
Loading...