बदली सोच
क्यों मैं कोसू किस्मत को अपनी बदलती नहीं ये सोच,
मन मे लाऊं अच्छे विचार हकीकत बन जाएगी सोच।।
ये जुनून जो मेरे भीतर है उसको बाहर लाना हैं,
निराशा को पीछे करके आशा की सीढी चढ़ जाना है।।
क्यों मैं करके अच्छे कर्म रखती फल की सोच,
वक्त के साथ साथ अपनी सोच बदल डालूंगी।।
जो अच्छी रखूंगी सोच तो फिर न पछताऊंगी,
गल्तफहमी मे ये अनमोल जन्म कोड़ियों के भाव न गवाऊंगी।।
सोच अच्छी होगी कर्म भी अच्छे होगे,
कर्म अच्छे होगें फल भी अच्छा होगा।।
बदलती सोच का अंजाम भी अच्छा होगा।।
कृति भाटिया।।