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14 Apr 2024 · 1 min read

“बदलते रसरंग”

“बदलते रसरंग”
आज के दौर में रस सारे
बदलने लगे हैं पाले,
सोचे ना थे कभी हम लोग
उससे जा मिले रस्साले।
वीर में वात्सल्य बह रहे
सृंगार में भयावहता,
रौद्र हास्य से जा मिले अब
बाकी छल-छल करता।

3 Likes · 3 Comments · 170 Views
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