बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
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बढ़ना घटना फिसल उठ जाना
जग जीवन तो आना और जाना
आयुकम होता जब जिंदगी का
यादें पुरनी छुटती जाती जग का
चाहत पर जीवन दौड़ता जाता
राहत से सकुन मिलता रहता है
जीने की आस बढ़ता जाता है
दूजे पर आस मिटता जाता है
मांगने पर मिलता कुछ नहीं
बिन मांगे सब मिलता कभी
छोड़ चले जाते अपने हमेशा
दूजे पराये जुड़ हो जाते अपने
खफा-खफा कुछ दफा- दफा
छूटना टूटना विरह आलिंगन
सुख दुःख सांझ उषा का आंगन
बास बसेरा घर गृहस्थी जीवन
खुशी हर्ष विषाद जीने के संग
साथ रहकर भी कुछ भूल जाते
कुछ भुलाने पर भी नहीं भुलते
इंतज़ार में बीतता जीवन काल
राम सबरी बैर जूठन एक भोग
पूरा होता लम्बी इंतज़ार संयोग
कुछ गलत सही कुछ सही गलत
गलती पर गलती पर सीख बड़ी
गलती सलती जीवन पथ राही
थक थकान पूरी सफ़र जिंदगी
वक्त गुजरना तो तय है पर क्या
करना यह तय करना ही हमें है
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टी.पी.तरुण