Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2022 · 1 min read

बडा ही शुकून मिलता है

बडा ही शुकून मिलता है जब भी पीपल / बरगद की छांव में बैठता हूं,

हृदय आनन्द से प्रफुल्लित हो जाता है जब भी अपनों में बैठता हूं !

महकती मिट्टी का एहसास होता है जब भी गांव में बैठता हूं,

जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाती है, जब भी बुजुर्गों के पांव में बैठता हूं !

– कृष्ण सिंह

1 Like · 229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
Dr. Man Mohan Krishna
तुझे भूलना इतना आसां नही है
तुझे भूलना इतना आसां नही है
Bhupendra Rawat
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
Ranjeet kumar patre
स्वयं अपने चित्रकार बनो
स्वयं अपने चित्रकार बनो
Ritu Asooja
माँ
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2753. *पूर्णिका*
2753. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*होली में लगते भले, मुखड़े पर सौ रंग (कुंडलिया)*
*होली में लगते भले, मुखड़े पर सौ रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
राम का न्याय
राम का न्याय
Shashi Mahajan
■सियासी फार्मूला■
■सियासी फार्मूला■
*प्रणय प्रभात*
ज़िंदगी इस क़दर
ज़िंदगी इस क़दर
Dr fauzia Naseem shad
सार्थक मंथन
सार्थक मंथन
Shyam Sundar Subramanian
" जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा "
Aarti sirsat
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
बाल कविता: तोता
बाल कविता: तोता
Rajesh Kumar Arjun
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
गुस्सा सातवें आसमान पर था
गुस्सा सातवें आसमान पर था
सिद्धार्थ गोरखपुरी
" दूरियां"
Pushpraj Anant
खुशनसीबी
खुशनसीबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
राम जैसा मनोभाव
राम जैसा मनोभाव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
DrLakshman Jha Parimal
यादें
यादें
Dinesh Kumar Gangwar
I lose myself in your love,
I lose myself in your love,
Shweta Chanda
इच्छा शक्ति अगर थोड़ी सी भी हो तो निश्चित
इच्छा शक्ति अगर थोड़ी सी भी हो तो निश्चित
Paras Nath Jha
गुलामी के कारण
गुलामी के कारण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
शब्द अभिव्यंजना
शब्द अभिव्यंजना
Neelam Sharma
मुस्कुरायें तो
मुस्कुरायें तो
sushil sarna
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
संस्कारों की रिक्तता
संस्कारों की रिक्तता
पूर्वार्थ
छोटे दिल वाली दुनिया
छोटे दिल वाली दुनिया
ओनिका सेतिया 'अनु '
"जड़"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...