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5 Jun 2023 · 1 min read

*बड़े नखरों से आना और, फिर जल्दी है जाने की 【हिंदी गजल/गीतिक

बड़े नखरों से आना और, फिर जल्दी है जाने की 【हिंदी गजल/गीतिका 】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
बड़े नखरों से आना और, फिर जल्दी है जाने की
हमें भी पड़ गई आदत है, अब नखरे उठाने की
(2)
अनूठा है नशा आता ,अनूठी मौज छाती है
यही पहचान होती है ,हमेशा उनके आने की
(3)
यहाँ के लोग दीवाने, यहाँ पागल ही रहते हैं
जिसे देखा नहीं सबको है, धुन उसको ही पाने की
(4)
कभी बिजली चली जाती, तो पानी ही नहीं आता
किसे गरमी के मौसम में, है फुर्सत मुस्कुराने की
(5)
किसी पौधे को केवल रोपना काफी नहीं होता
जरूरत है जो रोपा था, उसे पानी लगाने की
(6)
फलों को खाओगे तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी ये फल देंगे
नहीं अच्छी है आदत पेड़, को ही काट खाने की
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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