बजट
दृश्य मीडिया बाच किया,हर टी वी मैंने कैच किया
हर पेपर का संज्ञान लिया, विशेषज्ञों का भी ज्ञान लिया
बजट समझ न आया, क्या खोया क्या पाया
किसको क्या क्या मिल पाया, और नया क्या आया
कोई विकासशील बतलाते हैं, बातें कई बताते हैं
अपनी अल्प बुद्धि से हम, कुछ भी समझ न पाते हैं
घूम रहा है समय चक्र,हर साल बजट आते हैं
रूपया जो कर से आता है,हर साल खर्च हो जाता है
गैर जरूरी खर्चा हरदम,घाटा और बढ़ाता है
एक तरफ से देकर राहत, कहीं बोझ को और बढ़ाता है
बड़ा कठिन गणित बजट का,अच्छों अच्छों को समझ न आता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी