Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2018 · 4 min read

बच्चों को संस्कारवान बनाने की चुनौती

आज इस आधुनिक तकनीक से युक्त सभ्य समाज के सामने यदि कोई चुनौती है तो वह है बच्चोंको संस्कारयुक्त बनाना जिससे वे आगे चलकर एक सुसभ्य समाज की मजबूत कड़ी बन सके ,एक ऐसी कड़ी जो अपने अच्छे आचरण और व्यवहार से समाज को एक नई दिशा दे सके क्योकि आज के यही होनहार बच्चे कल के समाज के कर्णधार होगे . अच्छे संस्कार ही किसी भी स्त्री पुरुष या बच्चों को मानवीय गुणों से युक्त बनाता है. इसलिये समाज को आज इसकी बहुत जरूरत है अन्यथा हमारा भविष्य का समाज उस दिशा में बढ़ने को मजबूर हो जायेगा है जहा पर अच्छे सुसभ्य संस्कारित लोगो के तादाद में कमी हो जाएगी . हर किसी के लिए हर किसी के मन में आदर सम्मान का भाव उत्पन्न करना ही अच्छे संस्कार का लक्ष्य होता है . अच्छा संस्कार मानव के विवेक में चार चाँद लगा देता है जिससे उसका आचार विचार श्रेष्ठतम हो जाता है . अच्छे संस्कार की कमी के कारण ही कभी कभी कुछ लोग ऐसा जघन्य कुकर्म कर देते है जिससे मानवता शर्मसार हो जाती है और समाज ऐसे लोगो की तुलना पशु से कर देता है . अपने श्रेष्ठ विवेक और कर्म के कारण ही मनुष्य अन्य प्राणियों से भिन्न अपनी पहचान बनाता है .इसलिए मानव को विवेकशील प्राणी कहा जाता है।

इस तकनीकी और आर्थिक युग में हर किसी को अपने व्यस्तम समय में से थोड़ा बहुत फुर्सत का समय निकालकर अपने बच्चो के साथ बिताना चाहिए जिससे उनमे अच्छी आदतों को डाला जा सके , उन्हें अच्छे आचरण के प्रति जागरूक और प्रेरित किया जा सके , उन्हें बड़े और छोटे में फर्क सिखाया जा सके तथा माँ बहन बेटी के प्रति उनमे आदर और सम्मान का भाव जागृत किया जा सके जिससे जब वे कल बड़े हो तो सभी के साथ उचित और सम्मानपूर्वक व्यवहार कर सके . घर से बाहर निकलने पर पराई बहन बेटियों और महिलाओ को अपनी माँ बहन बेटी की नज़र से देखने और मानने की नसीहत देने से समाज में आये दिन महिलाओ के साथ हो रही बदसलूकी को रोका जा सकता है . अच्छे संस्कार की कमी होने के कारण लोगो में कुसंस्कार बढ़ते जा रहे है जिससे समाज में गलत और असामाजिक कार्यो में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है , और इन दुष्प्रवृत्तियों के कारण समाज में जो अच्छे लोग है वे इससे त्रस्त और दुखी है।

अच्छे संस्कार बाज़ार में नही बिकते है बल्कि यह घर परिवार समाज और अच्छी शिक्षा से प्राप्त होता है . कही कही इसकी बेहद कमी महसूस की जा रही है क्योकि कुछ लोग इसको महत्व नही दे रहे है और पश्चिमी सभ्यता के अन्धाधुन्ध अनुकरण से अपने श्रेष्ठ भारतीय संस्कारो परम्पराओ को त्यागते जा रहे है . इसी का परिणाम है की कुछ ऐसे असामाजिक तत्व समाज में बढ़ गये है जिससे आज समाज का अपराधिकरण होने लगा है . इन्ही कुसंस्कारो और दुष्प्रवृत्तियों के कारण ही आये दिन हत्या डकैती अपहरण और बलात्कार की घटनाओ में तेज़ी से वृद्धि हो रहा है . इसमें जो सबसे चिंता की बात है वह है महिलाओ और बेटियों का सुरक्षित न होना . घर से बाहर निकलते ही महिलाओं में डर सताने लगता है की वे घर सुरक्षित पहुँच पाएगी या नही क्योकि कुछ लोगो ने अपने खूंखार कुकृत्यो से समाज में ऐसा भयावह वातारण पैदा कर दिया है जिससे महिलाये अपने सुरक्षा के प्रति सशंकित रहा करती है और समान्य जनमानस बढ़ते अपराध से चिंतित रहता है . समाज में अच्छे आचरण करने वालो की कमी नही है लेकिन यही कुछ गलत लोग अपने गलत आचरण से समाज को दूषित कर दिए है जिसके कारण ही समाचार पत्रों का सत्तर फीसदी भाग इन्ही अपराधियों के कारनामो से भरा रहता है ,अच्छी और सकारात्मक खबरों का अक्सर अभाव ही रहता है।

इसलिए हम सभी का यह दायित्व और कर्तव्य है की प्रारम्भ से ही बच्चो में अच्छे संस्कार पैदा करना चाहिए, साथ ही घर में बड़ो बुजुर्गो को अपने श्रेष्ठ आचरण से बच्चो को प्रभावित करके सीख देनी चाहिए क्योकि बच्चो का कोमल मस्तिष्क पर इन सभी चीजो का बहुत गहरा छाप पड़ता है . बच्चे अपने सहज गुण के कारण बड़ो का अनुकरण करते है और ठीक वैसा ही व्यवहार तथा आचरण करते है जैसा की बड़े बुजुर्गो के द्वारा किया गया हुआ होता है . अक्सर बच्चे माँ बाप और घर के बड़े बुजुर्गो का आइना होते है इसलिए माता पिता और घर के अन्य बड़ो को बड़ी सावधानीपूर्वक बच्चो के साथ रहना चाहिए और उन्हें अपने अच्छे आचरणों से प्रभावित करना चाहिए जिससे यही बच्चे बड़े होकर आपके आदर्शो पर चल सके तथा अपने श्रेष्ठ कर्मो के द्वारा आपका और अपना नाम रोशन कर सके और समाज के एक अच्छे अंग बन सके जिससे समाज उन पर गर्व कर सके।

इन सबसे सबक लेकर हमे एक अच्छे और संस्कारित तथा सुसभ्य समाज के निर्माण में अपना हाथ बटाकर योगदान करने की जरूरत है जिससे आज के बच्चे जो कल के समाज के कर्णधार होगे उन्हें अभी से अच्छी शिक्षाओं को देना चाहिए ,उन्हें उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग और जबाबदेह होने की शिक्षा अभी से देने की जरूरत है .माँ बहनों और बेटियों के प्रति आदर सम्मान की बाते बाल्यावस्था में ही सिखाने की जरूरत है जिससे वे बड़े होकर अपनी बड़ी भूमिका का निर्वाह कर सके और एक संस्कारयुक्त समाज की अवधारणा साकार हो सके।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 613 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"अजीब दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
Manisha Manjari
4) इल्तिजा
4) इल्तिजा
नेहा शर्मा 'नेह'
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Ayushi Verma
आत्म बोध
आत्म बोध
OM PRAKASH MEENA
ज़िंदगी कुछ भी फैसला दे दे ।
ज़िंदगी कुछ भी फैसला दे दे ।
Dr fauzia Naseem shad
आज हमें गाय माता को बचाने का प्रयास करना चाहिए
आज हमें गाय माता को बचाने का प्रयास करना चाहिए
Phoolchandra Rajak
*रामनगर के विश्व प्रसिद्ध रिजॉर्ट*
*रामनगर के विश्व प्रसिद्ध रिजॉर्ट*
Ravi Prakash
ये कटेगा
ये कटेगा
शेखर सिंह
खेलों का महत्व
खेलों का महत्व
विक्रम सिंह
कोशिश
कोशिश
Chitra Bisht
दिल ही दिल की साँझ है ,
दिल ही दिल की साँझ है ,
sushil sarna
अपनी बात
अपनी बात
Manoj Shrivastava
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
3566.💐 *पूर्णिका* 💐
3566.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
I want to hug you
I want to hug you
VINOD CHAUHAN
परिवार सबसे बड़ा खजाना है
परिवार सबसे बड़ा खजाना है
संतोष बरमैया जय
नेता
नेता
विशाल शुक्ल
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
उमा झा
तुम..
तुम..
हिमांशु Kulshrestha
आज के युग में
आज के युग में "प्रेम" और "प्यार" के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
पूर्वार्थ
हिंदी दोहे -कदंब
हिंदी दोहे -कदंब
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"जीवन का कुछ अर्थ गहो"
राकेश चौरसिया
फिर  किसे  के  हिज्र  में खुदकुशी कर ले ।
फिर किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले ।
himanshu mittra
गीत- कृपा करना सदा हमपर...
गीत- कृपा करना सदा हमपर...
आर.एस. 'प्रीतम'
”बंदगी”
”बंदगी”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
..
..
*प्रणय प्रभात*
अपना सिक्का खोटा था
अपना सिक्का खोटा था
अरशद रसूल बदायूंनी
एक बार होता है
एक बार होता है
Pankaj Bindas
लूट का माल
लूट का माल
Dr. P.C. Bisen
Loading...