बच्चों की है रेल चली
रेल चली भी रेल चली
बच्चों की है रेल चली
इंजन भारी भरकम है
चलता डगमग डगमग है
फिर भी पेलमपेल चली
बच्चों की ये रेल चली
डिब्बे कितने छोटे हैं
जैसे सिक्के खोटे हैं
खिचमखिचों रेल चली
बच्चों की है रेल चली
ये रेल सभी से है न्यारी
बजट नहीं इसका भारी
बिन पानी बिन तेल चली
बच्चों की है रेल चली
‘विनोद’ये छुक-छुक कहती है
घर आंगन तक रहती है
सुपरफास्ट और मेल चली
बच्चों की है रेल चली