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2 Apr 2022 · 1 min read

बच्चों की है रेल चली

रेल चली भी रेल चली
बच्चों की है रेल चली
इंजन भारी भरकम है
चलता डगमग डगमग है
फिर भी पेलमपेल चली
बच्चों की ये रेल चली
डिब्बे कितने छोटे हैं
जैसे सिक्के खोटे हैं
खिचमखिचों रेल चली
बच्चों की है रेल चली
ये रेल सभी से है न्यारी
बजट नहीं इसका भारी
बिन पानी बिन तेल चली
बच्चों की है रेल चली
‘विनोद’ये छुक-छुक कहती है
घर आंगन तक रहती है
सुपरफास्ट और मेल चली
बच्चों की है रेल चली

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