बच्चे से बूढ़े,,,
जिंदगी घिस गई काम काम करते करते
कब बच्चे से बूढ़े हो गए
पता ही ना चला
कब चेहरे में झुरिया पढ़ गयी
और ना जाने कब बाल सफेद हो गए
पता ही ना चला
याद ही नही की कब जवानी आके चली गई
और हम बूढ़े हो गए
अब तो हाथ भी कापने लगे है और नजरे भी
धुंधली सी हो गई है
जिंदगी की दोड मे भागते भागते अब ये
शरीर भी थक गया है और
हम भी थक गए है
कब बच्चे से बूढ़े हो गए पता ही ना चला।
श्री रावत,,,,