बचपन
सारी उम्र गुजर जाती है पर
कुछ लम्हे वहीं ठहर जाते हैं
नानी की कहानियों में
कुछ दादी के लाड़ में और
कोई तो आम की टहनियों में
बस लटके रह जाते हैं
कुछ लम्हे वहीं ठहर जाते हैं….
स्कूल की शरारतों में
दोस्तों की बातों में और
कोई तो उन बरसातों में
छिपकर बस चिढ़ाए जाते हैं
कुछ लम्हे वहीं ठहर जाते हैं…..
परीक्षा के डर में
उस छोटे से घर में और
कोई तो मां बाबा की आंखों में
अब भी दिखाई दे जाते हैंं
कुछ लम्हे वहीं ठहर जाते हैं…..