Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2018 · 1 min read

“माँ “

“बीती उम्र की किताबों से,यादों के पन्ने खोलूंगी,
बचपन की मीठी यादों के रस,कविता में घोलूँगी,
बचपन में रातों को जब नींद नहीं आया करती थी,
थपकी दे देकर माँ हमें सुलाया करती थी,
मीठी मीठी लोरी हमें सुनाया करती थी,
पढ़ लिख कर और खेल कूद कर,थक के जब सो जाते थे,
चुपके- चुपके रातों में मां पांव दबाया करती थी,
ज्वर या पीड़ा हो हमको तो,माँ रैना जाग बिताती थी,
दर्द भी कम हो जाता था,माँ प्यार से जब सहलाती थी,
पकवानों के थाल माँ, त्योहारों पर सजाती थी,
पहले हमें खिलाती फिर बाद में खुद खाती थी,
एहसान ये माँ बाप का है, सुख भोग रहे हम जीवन के,
धन्य भाग्य हमारे हम फूल हैं इस उपवन के,
कभी गलतियो पर बचपन में माँ डांट लगाया करती थी,देखा था कोने में बैठ फिर पक्षताया करती थी,
कुछ ही वक्त गुजरने पर, मां पास बुलाती थी,
सही गलत में भेद है क्या, माँ हमको समझाती थी,
कई बार हमारी गलती पर मां औरों से बातें सुनती थी,
दिल दुखता था उसका भी,पर हमको कुछ न कहती थी,
स्वस्थ रहें हम रहें सुरक्षित,यही दुआएँ देती हैं,
किस्मत वाले होते हैं जिनके संग माँ होती है,
मां बाप ही चारों धाम हैं, स्वर्ग है इनके चरणों में,
माँ बाप को भूल के क्यों उलझे हम पाखंडी कर्मों में,
हर मुश्किल घड़ी में खड़े हमारे साथ मिले,
कोटि -कोटि तुम्हें नमन प्रभु जो हमको ऐसे मां बाप मिले”

Language: Hindi
311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मानसिक शान्ति के मूल्य पर अगर आप कोई बहुमूल्य चीज भी प्राप्त
मानसिक शान्ति के मूल्य पर अगर आप कोई बहुमूल्य चीज भी प्राप्त
Paras Nath Jha
ये पीढ कैसी ;
ये पीढ कैसी ;
Dr.Pratibha Prakash
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
श्रेष्ठ भावना
श्रेष्ठ भावना
Raju Gajbhiye
आप करते तो नखरे बहुत हैं
आप करते तो नखरे बहुत हैं
Dr Archana Gupta
"यादें"
Yogendra Chaturwedi
सियासत
सियासत
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
भले दिनों की बात
भले दिनों की बात
Sahil Ahmad
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
Rj Anand Prajapati
!! दो अश्क़ !!
!! दो अश्क़ !!
Chunnu Lal Gupta
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak
रंगों का नाम जीवन की राह,
रंगों का नाम जीवन की राह,
Neeraj Agarwal
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
Shyam Sundar Subramanian
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
Dr. Vaishali Verma
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
मैं अशुद्ध बोलता हूं
मैं अशुद्ध बोलता हूं
Keshav kishor Kumar
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
Ajay Kumar Vimal
3010.*पूर्णिका*
3010.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
समाजसेवा
समाजसेवा
Kanchan Khanna
दोस्ती
दोस्ती
Surya Barman
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Harminder Kaur
एक जहाँ हम हैं
एक जहाँ हम हैं
Dr fauzia Naseem shad
जाना ही होगा 🙏🙏
जाना ही होगा 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*बुरा न मानो होली है 【बाल कविता 】*
*बुरा न मानो होली है 【बाल कविता 】*
Ravi Prakash
कहो कैसे वहाँ हो तुम
कहो कैसे वहाँ हो तुम
gurudeenverma198
Loading...