बचपन
एक बचपन का जमाना था,
जिसमे खुशियों का खजाना था।
चाहत चांद को पाने की थी ।
पर दिल तितली का दीवाना था,
वो बचपन भी कितना सुहाना था।
जिसका रोज एक नया फसाना था ,
कभी पापा के कंधो का।
तो कभी मां के आंचल का सहारा था ,
पापा आपकी गोद मे बैठकर।
जब पहली बार जहा देखा ,
कितना सुंदर था वो सपना।
और कितना प्यारा था ये बचपना ।