“बचपन के गाँव”
“बचपन के गाँव”
देखने लग जाता हूँ
हरेली में हल पूजे जाते,
सारे दोस्त मिलकर
गेड़ी में रेस लगाते।
लग जाता हूँ तैरने
वर्षा जल से भरे तालाब में,
मौज मस्ती कर लेते
तमाम दोस्त बे-हिसाब में।
“बचपन के गाँव”
देखने लग जाता हूँ
हरेली में हल पूजे जाते,
सारे दोस्त मिलकर
गेड़ी में रेस लगाते।
लग जाता हूँ तैरने
वर्षा जल से भरे तालाब में,
मौज मस्ती कर लेते
तमाम दोस्त बे-हिसाब में।