“बगैर”
“बगैर”
बगैर श्रम का कोई पसीना नहीं होता
बगैर गम का कोई जीना नहीं होता।
तू कोस ना अपने मुकद्दर को क्यूँकि
बगैर तराशे कोई नगीना नहीं होता।
“बगैर”
बगैर श्रम का कोई पसीना नहीं होता
बगैर गम का कोई जीना नहीं होता।
तू कोस ना अपने मुकद्दर को क्यूँकि
बगैर तराशे कोई नगीना नहीं होता।