फैसला
एक सिरफिरा टाइप का व्यक्ति प्रकृति द्वारा मानव की संरचना से व्यथित था। वह सोचता था प्रकृति ने भूख क्यों बनाई? अगर भूख न होती तो कितना अच्छा होता? न मेहनत करनी पड़ती और न ही ईमानदारी या बेईमानी का सवाल होता।
तभी अकस्मात भविष्यवाणी हुई- ऐ मानव, प्रकृति की रचना की कद्र क्यों नहीं करते हो? सोचो एक निवाला पेट तक पहुँचाने के लिए प्रकृति ने क्या खूब इन्तजाम किया है। गर्म होने पर हाथ बता देता है, सख्त होने पर दाँत। कड़वा या तीखा होने पर जीभ बता देती है और बासी होने पर नाक।
तुम्हें तो सिर्फ यह फैसला करना है कि वह मेहनत का है या बेईमानी का?
मेरी प्रकाशित लघुकथा संग्रह :
‘मन की आँखें’ (दलहा, भाग-1) से,,,।
लघुकथाएँ “दलहा भाग 1 से 7 तक” प्रकाशित हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
श्रेष्ठ लेखक के रूप में
विश्व रिकॉर्ड में दर्ज।