फैसला (भोजपुरी लघुकथा)
भोजपुरी
दिनांक:- १७/०६/२०२१
विधा:- लघुकथा
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फैसला
सोहन आज बड़ा खुश बाड़ें, सरकारी महकमा, ओहियो में रेलवे। नोकरी के खबर सुन के उनकर दांत नइखे तोपात। रामसमुझ के देखते गोड़ छू के गोड़ लगलन आ सारा वृतांत बतवलन आ कहलन, भइया अब तोहरे आराम करे के दिन आ गइल। अब तू सब चिंता फिकीर छोड़ि दऽ।
सोहन के कहल बात सुनि के रामसमुझ के येइसन लागल जइसे उनका सगरे तपस्या के फल आजुए मिलि रहल बा, कबो नून रोटी तऽ कबो उपासे रहके छोटका के पढ़वला के आज भरपूर सुफल मिलि रहल बा।
आज येतना दिन बाद रामसमुझ ओह बात के ईयाद करे लगलिन तऽ अखियां से टप- टप लोर ढरके लागल। आज बिहानही के तऽ बात हऽ जब अपना मेहरिया के कहला पऽ सोहन रामसमुझ से मुखातिब हो के कहलिन हऽ।
भइया अब हमरो परिवार बढ़लऽ,
हम सोच तानी कि अब बंटवारा होइये जाइत तऽ बढ़िया रहतऽ।
तू का कहतार?
रामसमुझ आज अपने ओह फैसला पर पछितावा करस आ कि खुश होखस जब दुनु बेकत मिल के ई फैसला कइले रहे लोग कि सोहनवे के पढ़ावल लिखावल जाई, येकरे के बेटा मानिके आपन बाल बच्चा पैदा ना कइल जाई।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’