” फेसबुक वायरस “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
=============
हमें भी फेसबुक का ,
बुखार चढ़ गया ,
अंग -अंग टूटने लगे ,
मित्रता का वायरस ,
हमको जकड़ने लगे !!
दनदनाते हुए दसों ,
दिशाओं से ,
मित्रता की अर्जी ,
आने लगी !
हमने भी सबको ,
स्वीकार किया ,
देखते ही देखते ,
कौरव सेना बन गयी !!
हम भी अपनी मूंछों ,
पर ताव देने लगे ,
अपनी बाँहों को ,
गठीला बना के ,
56 इंच का सीना ,
दिखाने लगे !!
अपनी नयी ,
रचनाओं को ,
अपनी टाइम लाइन ,
पर बिखेरने लगे ,
किसी ने सराहा ,
शाबशी दी ,
कोई प्रशंसा की माला ,
पहनाने लगे !!
किसी ने तो इतना
कहा
” आप महान हैं ”
” सर्व गुण सम्पन्य ”
भी हमको बना दिया !
हम भी फुले ना
समाये ,
हमने गर्व से अपना
सीना फुला लिया !!
हम कौरव सेना के ,
सेनापति अपने को ,
समझ रहे थे !
और इन प्रशंसाओं ,
से हम बैलून की तरह ,
फूलते जा रहे थे !!
पहले तो हमारी ,
रचनाओं को लाइक,
करके शेयर ,
करने लगे ,
बाद में पता लगा ,
वे महारथी निकले ,
मेरी रचनाओं से ,
मेरा नाम हटाने लगे !!
वायरस फैलाकर ,
मित्रता को ,
हम भला क्या झेल पाएंगे ?
कवच ,कुंडल और ,
गांडीव को छिनकर ,
मित्रता को कैसे बचायेंगे ??
=====================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “