फेसबुक पर मेरा वो दोस्त दिखाई पड़ा !
फेसबुक पर मेरा वो दोस्त दिखाई पड़ा !
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फेसबुक पर , मेरा वो दोस्त दिखाई पड़ा !
मन में उठ रहा हर संशय अब ख़त्म हुआ !
जैसा कई साल पहले मैंने देखा था उसे….
उसमें बहुत ही परिवर्तन था अब हो गया !!
पर चेहरे की मुस्कान व अंदाज़ वही था !
धर्मपत्नी के साथ खड़ा चुपचाप वही था !
कोई चुलबुला पन व खुराफात नहीं था !
बस, शराफ़त से भरा वो चेहरा सही था !!
पर पत्नी के साथ वो घुल-मिल सा गया था !
इस दोस्त की फ़िक्र उसे तनिक भी नहीं था !
देखा जब उसको, मेरे लिए मुश्किल घड़ी था !
पर दोस्त मिल गया था, चेहरे पे मेरे ख़ुशी था !!
एक समय था , वह मेरा चैन हुआ करता था !
जब वो ना होता, कितना बेचैन हुआ करता था !
सुकून के पल , उसके साथ ही जिया करता था !
घंटों तक उससे लंबी-लंबी बातें किया करता था !
प्रतिदिन ही, नियमित मुलाकातें किया करता था !!
क्योंकि बहुत दिनों के बाद ही वह दिखा था !
कितने दिनों से हाल तक न उसका सुना था !
इसीलिए मेरा तो अंग-अंग ही खिल उठा था !
चेहरे के रूप में मुझे, मेरा दोस्त मिल चुका था !
फेसबुक पर मुझे, मेरा वो दोस्त मिल चुका था !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 12 सितंबर, 2021.
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