फूल
खिलकर फूल सदा उपवन में,भू की गोद सजाता है।
फैला कर सुगंध समीर में, तन मन को महकाता है।
सफल अल्प जीवन को करता,देकर यह सबकुछ अपना-
टूटे बिखरे डाली से यह, शोक कभी न मनाता है ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
खिलकर फूल सदा उपवन में,भू की गोद सजाता है।
फैला कर सुगंध समीर में, तन मन को महकाता है।
सफल अल्प जीवन को करता,देकर यह सबकुछ अपना-
टूटे बिखरे डाली से यह, शोक कभी न मनाता है ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली