फूल और खंजर
फूल भी कभी कभी खंजर तरह
जख्म देते कुछ ऐसा जिसका कोई
मरहम नही होता।।
शबनम भी तूफां बनकर दिल नजरों से
छलकता।।
दिल मासूम जख्मों का जखीरा फूटता
नासूर बनता।।
चीख जख्मो की दुनियां के लिये अपने
अंदाज़ का स्वर सरगम इंसान जख्मों की दुनियां में ही जीता।।
मोहब्बत तो दुनियां में गुनाह चाहे
जितने जख्म मिले इंसान मोहब्बत
से नही चुकता।।
दर्द शबनम का गहरा है नाता कभी
एहसास दर्द का कभी दर्द भुलाता।।
इश्क एक जज्बा जुनून भटकना इश्क में जज्बात जुनूँ का हद ही इश्क कहलाता।।
फतेह शिकस्त जिंदगी के रंग
शिकस्त बदल सावन की
तन्हाई फतह की जिंदगी जानम लम्हो के लिये ही मुस्कुराता।।