*मन् मौजी सा भँवरा मीत दे*
ముందుకు సాగిపో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
अपने विचारों को अपनाने का
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
गुरु वह जो अनंत का ज्ञान करा दें
"बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*
इस दौलत इस शोहरत से सुकून
जहन के भीतर///स्वतन्त्र ललिता मन्नू
नाम हमने लिखा था आंखों में