फूलों में गुलाब
***फूलों में गुलाब***
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तुम फूलों में गुलाब हो
मेरे ख्वाबी नकाब हो
यौवन तेरा भरा – भरा
तुम खिलता शवाब हो
मयकशी शरबती आँखें
आसुओं का सैलाब हो
तनबदन महका महका
दिलनशीं लाजवाब हो
तेली आँखें झुकी झुकी
शर्म हया का तालाब हो
अनसुलझी पहेली तुम
सवालों का जवाब हो
कुदरत की नियामत हैं
चमकता माहताब हो
भानु सा दहकता यौवन
तुम प्रभा आफताब हो
गेसुओं की घनी छाया
परछाई मुनासिब हो
चिड़ियों सी चहकती हो
तुम फुलवारी शादाब हो
ओष्ठ सुर्ख गुलाबी तेरे
रोग ईश्क का वाजिब हो
दिल संयम बिखर गया
तुम रोमानी रकाब हो
सुखविंद्र उतर नहीं पाया
तुम नशा पुरानी शराब हो
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली(कैथल)