फिल्मी गानों से छंद
फिल्मी गानों से छंद
फिल्म संसार में अधिकांश गाने किसी न किसी भारतीय सनातनी छंद पर आधारित हैं। इन गानों को बहुत ही आकर्षक धुन में गाया गया है और बहुत ही सम्मोहक पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है। इस लिए ये गाने हमको सरलता से कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी लय सहज ही मन में स्थापित हो जाती है। इस लय के अनुकरण से हम संबन्धित छंद की रचना कर सकते हैं और छंद के विधान को भी समझ सकते है। छंद है क्या? मुख्यतः लय का व्याकरण ही तो है छंद। यदि छंद की लय मन में बैठ जाये तो समझिए छंद भी मन में स्थापित हो गया, भले ही हम उसके विधान को शब्दों में व्यक्त न कर सकें। और यदि ऐसा हो गया तो फिर छंद के विधान को समझने में भी देर नहीं लगेगी, जिसके अंतर्गत लय के साथ चरण-संख्या, तुकांत विधान, यति आदि की बात भी सम्मिलित रहती है। आइये कुछ फिल्मी गानों के उदाहरण लेकर बात करें।
उदाहरण – एक
पहले हम एक ऐसे फिल्मी गाने का उदाहरण लेते हैं जो मापनीयुक्त मात्रिक छंद पर आधारित है, जैसे-
छोडो न मेरा’ आँचल, सब लोग क्या कहेंगे ।
हमको दिवाना’ तुमको, काली घटा कहेंगे।
इस गाने की पंक्तियों को गाते समय गुरु अर्थात गा और लघु अर्थात ल पर ध्यान दें तो हम पाते हैं कि प्रत्येक पंक्ति में लघु-गुरु एक निश्चित क्रम में ही आते हैं और वह क्रम इस प्रकार है –
छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे
221/ 2122/ 221/ 2122 अथवा
गागाल गालगागा गागाल गालगागा
यह मापनी अथवा लगावली है उस छंद की जिस पर यह गाना आधारित है और उस छंद का नाम है दिग्पाल। इसे मृदुगति भी कहते हैं। मूल छंद में ऐसी चार पंक्तियाँ होती हैं जिन्हें चरण कहते हैं और क्रमागत दो-दो चरण अलग-अलग समतुकांत होते हैं। इस छंद पर या किसी अन्य छंद पर जब कोई गाना, गीत, गीतिका या कोई अन्य गेय कविता रची जाती हैं तब तुकांत और चरण संख्या का विधान बदल जाता है और तब इस छंद को हम उस रचना का ‘आधार छंद’ कहते हैं। प्रस्तुत उदाहरण में दिये गये फिल्मी गाने ‘छोडो न मेरा’ आँचल, सब लोग क्या कहेंगे’ का आधार छंद ‘दिग्पाल’ या ‘मृदुगति’ है।
उदाहरण – दो
पहले हम एक ऐसे फिल्मी गाने का उदाहरण लेते हैं जो मापनीयुक्त वर्णिक छंद के वाचिक रूप पर आधारित है, जैसे-
ज़िंदगी का सफर है ये’ कैसा सफर,
कोई’ समझा नहीं कोई’ जाना नहीं।
इस गाने की पंक्तियों को गाते समय गुरु अर्थात गा और लघु अर्थात ल पर ध्यान दें तो हम पाते हैं कि प्रत्येक पंक्ति में लघु-गुरु एक निश्चित क्रम में ही आते हैं और वह क्रम इस प्रकार है –
ज़िंदगी/ का सफर/ है ये’ कै/सा सफर,
कोई’ सम/झा नहीं/ कोई’ जा/ना नहीं।
212/ 212/ 212/ 212
गालगा गालगा गालगा गालगा
यह मापनी अथवा लगावली है उस छंद की, जिस पर यह गाना आधारित है और उस छंद का नाम है वास्रग्विणी अर्थात वाचिक स्रग्विणी। मूल छन्द में ऐसी चार पंक्तियाँ होती हैं जिन्हें चरण कहते हैं और क्रमागत दो-दो चरण अलग-अलग समतुकांत होते हैं। इस छंद पर या किसी अन्य छंद पर जब कोई गीत, गीतिका, मुक्तक या कोई अन्य गेय कविता रची जाती हैं, तब तुकांत और चरण संख्या का विधान बदल जाता है और तब इस छंद को हम उस रचना का ‘आधार छंद’ कहते हैं। प्रस्तुत उदाहरण में दिये गए फिल्मी गाने ‘ज़िंदगी का सफर है ये’ कैसा सफर’ का आधार छंद वास्रग्विणी है।
उदाहरण – तीन
अंत में हम एक ऐसे फिल्मी गाने का उदाहरण लेते हैं जो मापनीमुक्त मात्रिक छंद पर आधारित है, जैसे-
रामचन्द्र कह गये सिया से , ऐसा कलयुग आयेगा,
हंस चुगेगा दाना तुनका , कौआ मोती खायेगा।
इस इस गाने की पंक्तियों को गाते समय गुरु अर्थात गा और लघु अर्थात ल पर ध्यान दें तो हम पाते हैं कि प्रत्येक पंक्ति में लघु-गुरु किसी निश्चित क्रम में नहीं आते हैं अर्थात यह गाना जिस छंद पर आधारित है उसकी कोई निश्चित मापनी नहीं है। दूसरे शब्दों में यह एक मापनीमुक्त मात्रिक छंद है। ऐसे गाने को फिल्मी धुन में ही गाकर उसकी लय को हम अपने मन में स्थापित कर लेते हैं और फिर उसी लय पर अपनी रचना करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में छंद का व्याकरण अमूर्त रूप में हमारे मन में स्थापित हो जाता है लेकिन हम उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते हैं। इसे शब्दों में व्यक्त करने के लिए अर्थात इस लय के आधार-छंद को जानने के लिए किसी जानकार व्यक्ति अथवा पुस्तक का सहारा लेना आवश्यक हो जाता है। इस उदाहरण के गाने का आधार छंद ‘लावणी’ है। लावणी के एक चरण में 30 मात्रा होती हैं, 16,14 पर यति होती है, और अंत में वाचिक गा होता है। वस्तुतः यह छंद चौपाई की 16 मात्रा में मानव की 14 मात्रा मिला देने से बनता है। यथा-
रामचन्द्र कह गये सिया से
2121 11 12 12 2 (कुल 16 मात्रा का चौपाई)
ऐसा कलयुग आएगा
22 1111 222 (14 मात्रा का मानव)
अस्तु, लावणी = चौपाई + मानव
यदि इस छंद के चरण के अंत में गागा अनिवार्य हो तो ‘कुकुभ’ और यदि अंत में गागागा अनिवार्य हो तो ‘ताटंक’ छंद हो जाता है। ये दोनों छंद लावणी के अंतर्गत ही आते हैं। इसलिए जटिलताओं से बचते हुए लावणी पर सृजन करना अधिक सुविधाजनक रहता है।
विशेष
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हम किसी छंद के नाम या विधान को नहीं जानते हैं लेकिन फिल्मी गानों के अनुकरण से उस छंद की लय मन में स्थापित कर लेते है और हम उस लय पर रचना करने में सक्षम हो जाते हैं। यह स्थिति रचनाकार के लिए बड़ी सहज और सुखद होती है। हाँ, यह बात अलग है की लय में होने वाली चूक को समझने और सुधारने के लिए उस लय का व्याकरण अर्थात आधार छन्द समझने की आवश्यकता बनी रहती है।
आइए उपर्युक्त छंदों को सम्मिलित करते हुए हम कुछ और भारतीय सनातनी छंदों की चर्चा करते हैं जिनके आधार पर अनेक फिल्मी गानों का निर्माण हुआ है। इन गानों की सहायता से हम छंदों के स्वरूप को सरलता से हृदयस्थ कर सकते हैं और इनके आधार पर शुद्धता और सटीकता के साथ मुक्तक, गीत, गीतिका, भजन, कीर्तन, खंडकाव्य, महाकाव्य आदि की रचना कर सकते हैं। ध्यान रहे कि मात्रापतन को उद्धरण चिह्न ( ’ ) से व्यक्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि फिल्मी गाने की जो पंक्ति उदाहरण में दी गयी है उसके आधार छन्द पार पूरे गाने का आधारित होना अनिवार्य नहीं हैं। गाने की अन्य पंक्तियाँ किसी अन्य छन्द पर भी आधारित हो सकती हैं।
(1) दिग्पाल (या मृदुगति) छंद
मापनी- 221 2122 221 2122
लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे
2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा
3) गुज़रा हु/आ ज़माना/ आता न/हीं दुबारा
4) ऐ दिल मु/झे बता दे/, तू किस पे’/ आ गया है?
मूल छंद का उदाहरण-
क्यों गीत के सहारे, धन चाहता कमाना,
उद्देश्य और ही कुछ, है सर्जना बहाना।
सम्मान गीत का यह, सर्वोच्च सर्व सुखकर,
वह गीत मीत बन कर, थिरके किसी अधर पर।
(2) सुमेरु छन्द
मापनी- 1222 1222 122
लगावली- लगागागा लगागागा लगागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) मुहब्बत अब/ तिजारत बन/ गयी है
2) मै’ तन्हा था/ मगर इतना/ नही था
3) मुहब्बत कर/ने’ वाले कम/ न होगें
4) अकेले हैं/ चले आओ/ जहां हो
5) हमें तुमसे/ मुहब्बत हो/ गयी है
मूल छंद का उदाहरण-
चलाती देश को यह भीड़ देखो,
उजाड़ा भीड़ का वह नीड़ देखो।
कठिन पहचान है अपनी बचाना,
कहीं तुम भीड़ में ही खो न जाना।
(3) विधाता छंद
मापनी- 1222 1222 1222 1222
लगावली- लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) सुहानी चां/दनी रातें/ हमे सोने/ नही देतीं
2) मुझे तेरी/ मुहब्बत का/ सहारा मिल/ गया होता
3) चलो इक बा/र फिर से अज/नबी बन जा/यॅँ हम दोनों
4) बहारों फू/ल बरसाओ/ मे’रा महबू/ब आया है
5) सजन रे झू/ठ मत बोलो/ खुदा के पा/स जाना है
मूल छंद का उदाहरण-
ग़ज़ल हो या भजन कीर्तन, सभी में प्राण भर देता ,
अमर लय ताल से गुंजित, समूची सृष्टि कर देताl
भले हो छंद या सृष्टा, बड़ा प्यारा ‘विधाता’ है ,
सुहानी कल्पना जैसी, धरा सुन्दर सजाता है।
(4) शक्ति (या वाभुजंगी) छंद
मापनी- 122 122 122 12
लगावली- लगागा लगागा लगागा लगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) तुम्हारी/ नज़र क्यों/ खफा हो/ गयी,
2) बदन पे/ सितारें/ लपेटे/ हुए …
3) दिखाई/ दिये यूँ/ कि बेखुद/ किया
मूल छंद का उदाहरण-
चलाचल चलाचल अकेले निडर,
चलेंगे हजारों, चलेगा जिधर।
दया-प्रेम की ज्योति उर में जला,
टलेगी स्वयं पंथ की हर बला।
(5) वाभुजंगप्रयात छंद
मापनी- 122 122 122 122
लगावली- लगागा लगागा लगागा लगागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) तुम्हीं मे/रे’ मंदिर/ तुम्हीं मे/री’ पूजा/
2) वो’ जब या/द आये/ बहुत या/द आये ।
3) ते’रे प्या/र का आ/सरा चा/हता हूँ
4) बने चा/हे’ दुश्मन/ जमाना/ हमारा
5) अजी रू/ठकर अब/ कहाँ जा/इयेगा
मूल छंद का उदाहरण-
अकेला अकेला कहाँ जा रहा हूँ,
कहो तो बता दूँ जहाँ जा रहा हूँ।
लगा मृत्यु से है भयाक्रांत मेला,
चला मृत्यु को भेंटने मैं अकेला।
(6) आनंदवर्धक छंद
मापनी- 2122 2122 212
लगावली- गालगागा गालगागा गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) दिल के अरमां/ आंसुओं में/ बह गए
2) है अगर दुश्/मन ज़माना/ ग़म नहीं
3) पर्वतों से/ आज मैं टक/रा गया
4) कल चमन था/ आज इक सह/रा हुआ
5) दिल ते’री दी/वानगी में/ खो गया
6) आपके पह/लू में’ आकर/ रो दिये
मूल छंद का उदाहरण
लोग कैसे, गन्दगी फैला रहे,
नालियों में छोड़ जो मैला रहेl
नालियों पर शौच जिनके शिशु करें,
रोग से मारें सभी को, खुद मरेंl
(7) सार्द्धमनोरम छंद
मापनी- 2122 2122 2122
लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा
छंदाधारित फिल्मी गाना-
छोड़ दो आँ/चल ज़माना/ क्या कहेगा
मूल छंद का उदाहरण-
मानते भय से, कभी मन से नहीं कुछ।
संहिताओं में नहीं अपना कहीं कुछ।
पर्व ही केवल मनाते रह गये हम।
देश का बस गान गाते रह गये हम।
(8) रजनी छन्द
मापनी- 2122 2122 2122 2
लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) बस यही अप/राध में हर/ बार करता/ हूँ,
आदमी हूँ/ आदमी से/ प्यार करता/ हूँ।
2) आँसुओं में/ चाँद डूबा/ रात मुरझा/यी
मूल छंद का उदाहरण-
कौन ऊपर बैठकर रसकुम्भ छलकाये।
छोड़ कर दो-चार छींटे प्यास उमगाये।
कौन विह्वलता धरा की देख मुस्काता,
छेड़ता है राग, गाता और इठलाता।
(9) गीतिका छन्द
मापनी- 2122 2122 2122 212
लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) आपकी नज़/रों ने’ समझा/ प्यार के का/बिल मुझे
2) चुपके’ चुपके/ रात दिन आँ/सू बहाना/ याद है
मूल छंद का उदाहरण-
शीत ने कैसा उबाया, क्या बतायें साथियों!
माह दो कैसे बिताया, क्या बतायें साथियों!
रक्त में गर्मी नहीं, गर्मी न देखी नोट में,
सूर्य भी देखा छुपा-सा, कोहरे की ओट में।
(10) वामहालक्ष्मी छंद
मापनी- 212 212 212
लगावली- गालगा गालगा गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) ज़िंदगी/ की न टू/टे लड़ी
2) ज़िन्दगी/ प्यार का/ गीत है
मूल छंद का उदाहरण-
साधना तुम, तुम्हीं सर्जना,
कवि हृदय की तुम्हीं कल्पना।
गीत हो तुम, तुम्हीं गीतिका।
तुम महाकाव्य हो प्रीति का।
(11) वास्रग्विणी छंद
मापनी- 212 212 212 212
लगावली- गालगा गालगा गालगा गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) खुश रहे/ तू सदा/ ये दुआ/ है मे’री
2) कर चले/ हम फ़िदा/ जानो’-तन/ साथियों
3) तुम अगर/ साथ दे/ने का’ वा/दा करो
4) बेखुदी/ में सनम/ उठ गए/ जो कदम
5) मैं ते’रे/ इश्क में/, मर न जा/ऊँ कहीं
6) जिन्दगी/ हर कदम/ इक नई/ जंग है
7) जिंदगी/ का सफर/ है ये’ कै/सा सफर
मूल छंद का उदाहरण-
दाढ़ियाँ हैं विविध, हैं विविध चोटियाँ।
धर्म की विश्व में हैं विविध कोटियाँ।
क्या कहें उस मनुज के कथित धर्म को,
जो जिये स्वार्थ में त्याग सत्कर्म को।
(12) वागंगोदक छंद
मापनी- 212 212 212 212 212 212 212 212
लगावली- गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) तुम अगर/ साथ दे/ने का’ वा/दा करो/, मैं यूँ’ ही/ मस्त नग/मे सुना/ता रहूँ।
2) मैं ते’रे/ इश्क में/, मर न जा/ऊँ कहीं/ तू मुझे/ आजमा/ने की’ को/शिश न कर।
मूल छंद का उदाहरण-
छांदसी काव्य की सर्जना के लिए, भाव को शिल्प आधार दे शारदे !
साथ शब्दार्थ के लक्षणा-व्यंजना से भरा काव्य-संसार दे शारदे !
द्वेष की भीति को प्रीति की रीति से, दे मिटा स्नेह संचार दे शारदे !
विश्व की वेदना पीर मेरी बने, आज ऐसे सुसंस्कार दे शारदे !
(13) वाबाला छंद
मापनी- 212 212 2122
लगावली- गालगा गालगा गालगागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) रात भर/ का है’ मे’ह/मां अँधेरा
2) आज सो/चा तो’ आँ/सू भराये
3) जा रहा/ है वफ़ा/ का जनाज़ा
मूल छंद का उदाहरण-
रोटियाँ चाहिए कुछ घरों को,
रोज़ियाँ चाहिए कुछ करों को।
काम हैं और भी ज़िंदगी में,
क्या रखा इश्क़-आवारगी में।
(14) वापंचचामर छंद
मापनी- 12 12 12 12 , 12 12 12 12
लगावली- लगा लगा लगा लगा, लगा लगा लगा लगा
छंदाधारित फिल्मी गा-
ये’ ज़िं/दगी/ सवा/ल है/, कि ज़िन्/दगी/ जवा/ब है।
मूल छंद का उदाहरण-
विचार आ गया उसे निबद्ध छंद में किया,
रसानुभूति के लिए निचोड़ भी दिया हिया।
परन्तु नव्य-नव्य गीत गीत तो हुआ तभी,
किसी अजान ने समोद गुनगुना दिया कभी।
(15) हरिगीतिका (या वामुनिशेखर) छन्द
मापनी- 2212 2212 2212 2212
अथवा- 11212 11212 11212 11212
लगावली- गागालगा गागालगा गागालगा गागालगा
अथवा- ललगालगा ललगालगा ललगालगा ललगालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) इक रास्ता/ है ज़िन्दगी/ जो थम गए/ तो कुछ नहीं.
2) हम बेवफा/ हरगिज न थे/ पर हम वफ़ा/ कर ना सके
3) किसी’ राह में/ किसी’ मोड़ पर/ कही’ चल न दे/ना’ तू’ छोड़कर
मूल छंद का उदाहरण-
उस ज्ञान का हम क्या करें जो, दंभ में अनुदार हो।
उस रूप का हम क्या करें जिस, में न मृदुता-प्यार हो।
जो हैं अकारण रूठते हम, उन ग्रहों से क्या डरें।
जो मूलतः व्यापार हो उस, धर्म का हम क्या करें।
(16) पारिजात छंद
मापनी- 2122 1212 22
लगावली- गालगागा लगालगा गागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) ज़िंदगी इम्/तहान ले/ती है।
2) तुमको’ देखा/ तो’ ये ख़या/लाया।
3) दिल-ए-नादां/ तुझे हुआ/ क्या है।
4) आज फिर जी/ने’ की तमन्/ना है।
5) फिर छिड़ी रा/त बात फू/लों की।
6) यूँ ही’ तुम मुझ/से’ बात कर/ती हो।
7) हुश्न वाले/ ते’रा जवा/ब नहीं।
8) आज फिर जी/ने’ की तमन्/ना है
मूल छंद का उदाहरण-
फाग गाकर गयी चली होली,
कौन जाने कि किस गली हो ली।
राख़ का ढेर बच रहा नीरव,
फिर नया खेल रच रहा नीरव।
(17) दिग्बधू छन्द,
मापनी- 221 2122 221 212
अथवा- गागाल गालगागा गागाल गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाना-
किस्मत से’/ मिल गए हो/ मिलकर जु/दा न हो
मूल छंद का उदाहरण-
संसार है नरक भी संसार स्वर्ग भी,
दुख-धाम है कभी तो सुखधाम है कभी।
जो भूल कर स्वयं को परहित सदा जिए,
संसार स्वर्ग जैसा उस व्यक्ति के लिए।
(18) वाराभातायगागा छन्द
मापनी- 2122 1122 1122 22
लगावली- गालगागा ललगागा ललगागा गागा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) आज कल पाँ/व ज़मी पर/ नही’ पड़ते/ मेरे
2) मेरे’ महबू/ब तुझे मे/री’ मुहब्बत/ की’ कसम
3) पांव छू ले/ने’ दो’ फूलों/ को’ इनायत/ होगी
4) वो मे’री नीं/द मे’रा चै/न मुझे लौ/टा दे
मूल छंद का उदाहरण-
सोच कर व्यर्थ नहीं त्रस्त रहो दुनियाँ में।
काम में व्यस्त रहो मस्त रहो दुनिया में।
देखना बंद करो व्यर्थ असंभव सपना,
बात कल की न करो आज सँवारो अपना।
(19) वातारासरालगा छन्द
मापनी- 221 2121 1221 212
लगावली- गागाल गालगाल लगागाल गालगा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) मिलती है’/ जिंदगी में’/ मुहब्बत क/भी कभी
2) हर फ़िक्र/ को हवा में’/ उड़ाता च/ला गया
3) दिल चीज/ क्या है’ आप/ मे’री जान/ लीजिये
4) लग जा ग/ले कि फिर ये’/ हसीं रात/ हो न हो
5) दिल ढूँढ/ता है’ फिर व/हीं’ फुर्सत के’/ रात दिन
6) मैं जिंद/गी का’ साथ/ निभाता च/ला गया
7) दुनिया क/रे सवाल/ तो’ हम क्या ज/वाब दें
8) हैरान/ हूँ मैं’ आप/की’ जुल्फों को।/ देखकर
9) दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें
मूल छंद का उदाहरण-
जब हो समय सटीक तभी काम कीजिए।
विपरीत काल नाम सदा राम लीजिए।
जब कीजिए महान सदा कर्म कीजिए,
अपनाइए सुपन्थ सदा धर्म कीजिए।
(20) लावणी छंद (मापनीमुक्त)
विधान- 30 मात्रा, 16,14 पर यति, अंत में वाचिक गा
लावणी (30 मात्रा) = चौपाई (16 मात्रा) + समकल (14 मात्रा)
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) गोरे गोरे चाँद से’ मुख पर (16 मात्रा), काली काली आंखें हैं (14 मात्रा)
2) खूब लड़ी मर्दानी थी वह (16 मात्रा), झांसी वाली रानी थी (14 मात्रा)
3) फूल तुम्हें भेजा है खत में (16 मात्रा), फूल नहीं मेरा दिल है (14 मात्रा)
4) रात कली इक ख्वाब में’ आई (16 मात्रा), और गले का हार हुई (14 मात्रा)
5) कसमें वादें प्यार वफ़ा सब (16 मात्रा), बातें हैं बातों का क्या (14 मात्रा)
6) रामचन्द्र कह गए सिया से (16 मात्रा), ऐसा कलियुग आयेगा (14 मात्रा)
मूल छंद का उदाहरण-
तिनके-तिनके बीन-बीन जब, पर्ण कुटी बन पायेगी,
तो छल से कोई सूर्पणखा, आग लगाने आयेगी।
काम-अनल चन्दन करने का, संयम बल रखना होगा,
सीता-सी वामा चाहो तो, राम तुम्हें बनना होगा।
(21) सार छंद (मापनीमुक्त)
विधान- 28 मात्रा, 16,12 पर यति, अंत में वाचिक गागा
सार (28 मात्रा) = चौपाई (16 मात्रा) + 12 मात्रा
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) रोते-रोते हँसना सीखो (16 मात्रा), हँसते-हँसते रोना (16 मात्रा)
2) मेरे नैना सावन भादो (16 मात्रा), फिर भी’ मे’रा मन प्यासा (16 मात्रा)
मूल छंद का उदाहरण-
कितना सुन्दर कितना भोला, था वह बचपन न्यारा।
पल में हँसना पल में रोना, लगता कितना प्यारा।
अब जाने क्या हुआ हँसी के, भीतर रो लेते हैं।
रोते-रोते भीतर-भीतर, बाहर हँस देते हैं।
(22) पदपादाकुलक छंद (मापनीमुक्त)
विधान- 16 मात्रा, प्रारम्भ में द्विकल अनिवार्य, इस द्विकल के बाद एक त्रिकल आये तो उसके बाद पुनः दूसरा त्रिकल अनिवार्य। वस्तुतः पदपादाकुलक के चरण में 2,6,10 मात्राओं के बाद ही त्रिकल-त्रिकल युग्म आ सकता है, यदि 0,4,8 मात्राओं के बाद त्रिकल-त्रिकल युग्म वर्जित है, यदि ऐसा होगा तो तो लयभंग हो जायेगी। इसमें सभी समकल होते हैं, जबकि विषम और विषम मिल कर समकल हो जाता है जैसे त्रिकल और त्रिकल मिल कर षड्कल हो जाता है।
छंदाधारित फिल्मी गाना-
जब (द्विकल) दर्द (त्रिकल) नहीं (त्रिकल) था सीने में,
क्या (द्विकल) खाक (त्रिकल) मजा (त्रिकल) था जीने में।
मूल छंद का उदाहरण-
कविता में हो यदि भाव नहीं,
पढने में आता चाव नहीं।
हो शिल्प भाव का सम्मेलन,
तब कविता होती मनभावन।
(23) मत्तसवैया/राधेश्यामी छंद (मापनीमुक्त)
विधान- 32 मात्रा, 16,16 पर यति, 16-16 मात्रा के प्रत्येक पद के प्रारम्भ में गा/द्विकल अनिवार्य, इस गा/द्विकल के बाद एक त्रिकल आये तो उसके बाद पुनः दूसरा त्रिकल अनिवार्य। वस्तुतः वस्तुतः इसके प्रत्येक 16 मात्रा के पद में 2,6,10 मात्राओं के बाद ही त्रिकल-त्रिकल युग्म आ सकता है, यदि 0,4,8 मात्राओं के बाद त्रिकल-त्रिकल युग्म वर्जित है, यदि ऐसा होगा तो लयभंग हो जायेगी। इसमें सभी समकल होते हैं, जबकि विषम और विषम मिल कर समकल हो जाता है जैसे त्रिकल और त्रिकल मिल कर षड्कल हो जाता है।
छंदाधारित फिल्मी गाना-
दिल लूटने’ वाले जादूगर (16 मात्रा), अब मैंने’ तुझे पहचाना है (16 मात्रा)।
मूल छंद का उदाहरण-
जिस गर्भकोश में निराकार, आते-आते साकार हुआ,
इच्छा की भी न प्रतीक्षा की, ऐसा पोषण सत्कार हुआ।
इच्छापेक्षी तरु कल्प लगा, जिसके आगे बस नाम-नाम,
विधि की ऐसी पहली कृति को, मन बार-बार करता प्रणाम।
(24) जयकरी/चौपई छंद (मापनीमुक्त)
विधान- 15 मात्रा, अंत में गाल अनिवार्य
छंदाधारित फिल्मी गाना-
तौबा ये मतवाली चाल (15 मात्रा),
झुक जाये फूलों की डाल (15 मात्रा)।
मूल छंद का उदाहरण-
भोंपू लगा-लगा धनवान,
फोड़ रहे जनता के कान।
ध्वनि-ताण्डव का अत्याचार,
कैसा है यह धर्म-प्रचार।
(25) चौपाई छंद (मापनीमुक्त)
विधान- 16 मात्रा, अंत में गाल वर्जित। वस्तुतः चौपाई के चरण में 0,4,8 मात्राओं के बाद ही त्रिकल-त्रिकल युग्म आ सकता है, यदि 2,6,10 मात्राओं के बाद त्रिकल-त्रिकल युग्म वर्जित है, यदि ऐसा होगा तो लयभंग हो जायेगी। इसमें सभी समकल होते हैं, जबकि विषम और विषम मिल कर समकल हो जाता है जैसे त्रिकल और त्रिकल मिल कर षड्कल हो जाता है।
छंदाधारित फिल्मी गाने-
1) दीवानों से ये मत पूछो (16 मात्रा),
दीवानों पे क्या गुज़री है (16 मात्रा)।
2) कहीं दूर जब दिन ढल जाये (16 मात्रा),
शाम की’ दुल्हन नजर चुराए (16 मात्रा)।
मूल छंद का उदाहरण-
धर्म बना व्यापार अनोखा,
हर्र-फिटकरी बिन रँग चोखा।
गुरु-घंटाल स्वाँग दिखलाते,
घन-आदर दोनों ही पाते।
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संदर्भ ग्रंथ – ‘छन्द विज्ञानं’, लेखक- ओम नीरव, पृष्ठ- 360, मूल्य- 400 रुपये, संपर्क- 8299034545