फिर से बच्चे बन जाओ
सुनो पुनः घंटी की टन टन,
बन ठन के तुम आओ,
कैसे थे दिन स्कूल के,
हमको तनिक बताओं।
नाचो, गाओ, मौज उड़ाओ,
वापिस वो खुशियां लाओ।
गीत,कहानी और चुटकुला,
सुने थे वो दुहराओं।
सुविचार,समाचार क्या,
सबको कहो,सुनाओ।
हँसी खुशी से सभी काज हो,
मन में उत्साह जगाओं।
जाओ खुशी संग में लेकर,
निज स्कूल सजाओ।
करो याद बचपन को अपने,
फिर से बच्चें बन जाओ।
रामनारायण कौरव