Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 1 min read

फिर से बच्चे बन जाओ

सुनो पुनः घंटी की टन टन,
बन ठन के तुम आओ,
कैसे थे दिन स्कूल के,
हमको तनिक बताओं।
नाचो, गाओ, मौज उड़ाओ,
वापिस वो खुशियां लाओ।
गीत,कहानी और चुटकुला,
सुने थे वो दुहराओं।
सुविचार,समाचार क्या,
सबको कहो,सुनाओ।
हँसी खुशी से सभी काज हो,
मन में उत्साह जगाओं।
जाओ खुशी संग में लेकर,
निज स्कूल सजाओ।
करो याद बचपन को अपने,
फिर से बच्चें बन जाओ।

रामनारायण कौरव

Language: Hindi
148 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from रामनारायण कौरव
View all
You may also like:
बुद्ध के संग अब जाऊँगा ।
बुद्ध के संग अब जाऊँगा ।
Buddha Prakash
बीतते साल
बीतते साल
Lovi Mishra
भारत में भीख मांगते हाथों की ۔۔۔۔۔
भारत में भीख मांगते हाथों की ۔۔۔۔۔
Dr fauzia Naseem shad
कसौटी
कसौटी
Sanjay ' शून्य'
सफलता
सफलता
Babli Jha
👍संदेश👍
👍संदेश👍
*प्रणय प्रभात*
मन है एक बादल सा मित्र हैं हवाऐं
मन है एक बादल सा मित्र हैं हवाऐं
Bhargav Jha
सार्थकता
सार्थकता
Neerja Sharma
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
Anil Mishra Prahari
उसे तो आता है
उसे तो आता है
Manju sagar
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
रम्भा की मी टू
रम्भा की मी टू
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
Atul "Krishn"
"तोता"
Dr. Kishan tandon kranti
धर्म या धन्धा ?
धर्म या धन्धा ?
SURYA PRAKASH SHARMA
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
माॅ
माॅ
Santosh Shrivastava
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विधवा
विधवा
Acharya Rama Nand Mandal
23/63.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/63.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
काली मां
काली मां
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अपना गाँव
अपना गाँव
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
पूर्वार्थ
Loading...