Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

नज़र तुमसे मिली समझा मुहब्बत का असर क्या है
तुझे देखा क़सम से सुन भुला बैठा क़मर क्या है/1

सुनी तारीफ़ थी मैंने तुझे देखा अधिक पाया
समझ आया अभी मुझको उधर क्या था इधर क्या है/2

दिया रब ने तुझे सबकुछ सफ़र आसान लगता है
नहीं दो जून की रोटी उसे पूछो सफ़र क्या है/3

लुटा दी जान हँसकर थी बड़ा बलवान था सच में
उसे मालूम था होती वतन हित की क़दर क्या है/4

अँधेरे भाग जाते हैं उजाले जब ज़मा होते
समझ औक़ात अपनी और उनका कद हुनर क्या/5

रुला निर्दोष को तुम चैन प्यारे पा नहीं सकते
बदी है ज़हर चखना मत चखा उसकी ख़बर क्या है/6

अना ‘प्रीतम’ करेगा वस्ल कर आओ कभी घर पर
मुहब्बत से बडी दुनिया में ताक़त की डगर क्या है/7

आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- क़मर- चाँद, अना- गर्व, वस्ल- मिलन

Language: Hindi
1 Like · 64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
विश्वामित्र-मेनका
विश्वामित्र-मेनका
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*पद्म विभूषण स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा खान साहब से दो मुलाकातें*
*पद्म विभूषण स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा खान साहब से दो मुलाकातें*
Ravi Prakash
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
"कलम और तलवार"
Dr. Kishan tandon kranti
" जुदाई "
Aarti sirsat
पुष्प
पुष्प
Er. Sanjay Shrivastava
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मेरा दुश्मन मेरा मन
मेरा दुश्मन मेरा मन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आप क्या ज़िंदगी को
आप क्या ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
आरती करुँ विनायक की
आरती करुँ विनायक की
gurudeenverma198
*सावन में अब की बार
*सावन में अब की बार
Poonam Matia
3488.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3488.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
धोखा था ये आंख का
धोखा था ये आंख का
RAMESH SHARMA
भव्य भू भारती
भव्य भू भारती
लक्ष्मी सिंह
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
चांदनी न मानती।
चांदनी न मानती।
Kuldeep mishra (KD)
अर्थ  उपार्जन के लिए,
अर्थ उपार्जन के लिए,
sushil sarna
निगाहें के खेल में
निगाहें के खेल में
Surinder blackpen
एक लेख...…..बेटी के साथ
एक लेख...…..बेटी के साथ
Neeraj Agarwal
बाबा केदारनाथ जी
बाबा केदारनाथ जी
Bodhisatva kastooriya
भ्रष्ट होने का कोई तय अथवा आब्जेक्टिव पैमाना नहीं है। एक नास
भ्रष्ट होने का कोई तय अथवा आब्जेक्टिव पैमाना नहीं है। एक नास
Dr MusafiR BaithA
भूख 🙏
भूख 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हुनर से गद्दारी
हुनर से गद्दारी
भरत कुमार सोलंकी
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
देखी है हमने हस्तियां कई
देखी है हमने हस्तियां कई
KAJAL NAGAR
"सफलता कुछ करने या कुछ पाने में नहीं बल्कि अपनी सम्भावनाओं क
पूर्वार्थ
Loading...