फिर वही खुशबू फिजा में लौट आई है।
गजल
2122……2122……2122……2
फिर वही खुशबू फिजा में लौट आई है।
शाम फिर रंगीन होकर मुस्कुराई है।
मुस्कुराते हैं सभी मुस्कान है लब पर,
जिंदगी खुशियों भरी सबको बधाई है।
हो गये कानून वापस सब किसानों के,
कुछ कमी है इसलिए महफिल जमाई है।
दीन दुखियों को अगर दे दो खुशी थोड़ी,
जिंदगी की बस यही असली कमाई है।
दर्द है जो इश्क में जिंदा रखो उसको,
क्योंकि ये जो दर्द है वो ही दवाई है।
प्रेम दुनियां में फले फूले बनो प्रेमी,
प्रेम से ही रब ने ये दुनियां सजाई है।
…….✍️ प्रेमी