शहर तुम गांव को चलो
शहर तुम गांव को चलो
वहां जहां ना कोई शोरगुल है,
ना ऊंची इमारतों का जाल है,
ना ही चिंताओं का बोझ है,
वहां तो सिर्फ़…
खेतों में लहराती फसलें है,
बहारों का रंग है,
हरियाली की छांव है,
सुकून से भरा जीवन है,
शांति का मेला है,
प्रकृति की सुंदरता है,
मिट्टी की सौंधी खुशबू है,
सादा जीवन की मिठास है,
मुस्कुराते इंसानी चेहरे है,
और चिड़ियों की चहचहाट है।
— सुमन मीना अदिति
लेखिका एवं साहित्यकार