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1 Sep 2021 · 1 min read

फिर मुझे याद बहुत आती हो….

सुबह,दोपहर,शाम
जब समय मिलता है,
तुम चली आती हो,
मेरे घर आकर
खूब इतराती हो
बहुत इठलाती हो
लेकिन कुछ भी सही
मेरे मन को तुम
बहुत भाती हो …..फिर मुझे याद बहुत आती हो ।

मेरे घर का खाना खाकर
ठंडा मीठा पानी पीकर
फिर बैठ पेड़ की छाया में
अपनी मीठी बोली से
वहीं सुरीली ध्वनि में
एक नया संगीत सुनाकर
अंतर्मन के झंझावात को,
तोड़ मुझे शांति देकर
गंतव्य को उड़ जाती हो….फिर मुझे याद बहुत आती हो ।

कभी – कभी तो मैं भी,
गुमशुम सा हो जाता हूं
बिन देखे जब तुमको
बेचैन सा हो जाता हूं
फिर गहन विचार मंथन कर
इक सोच में पड़ जाता हूं
रह जाता हूं तन्हा अकेला
खो जाता हूं ख्वाबों में,
जब छोड़ चली जाती हो…..फिर मुझे याद बहुत आती हो ।

Language: Hindi
1 Like · 530 Views
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