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14 Jul 2023 · 1 min read

फितरत

फितरत

रुक जाना, मिट जाना कुदरत में नही
किसी का भी बन जाना फितरत में नही

भागम भाग मच रही है देखो सब ओर
लगता है यहां पर कोई फुरसत में नही

मंजूर मुझको वही मेरी मेहनत का जो
किसी और की खैरात, हसरत में नही

चलता हूं बस रोज अपने ही काम पर
मजा जो हैं काम में, वो कसरत में नही

सब कुछ पा सका है यहां कौन भला
और अपनी तो ज्यादा भी जरूरत नही

मिलो जिससे भी तुम बस प्रेम से मिलो
खुशी जो प्रेम है वो यहां नफरत में नही

कमलेश जोशी कमल
कांकरोली राजसमंद

3 Likes · 148 Views
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