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17 Nov 2023 · 1 min read

– रिश्तों से कंगाल हु –

– रिश्तों से कंगाल हु –
धन से मन से आबाद हु,
मां शारदे की अनुकंपा से दुनिया मे नाम भले ही हो,
सभी वरिष्ठ जनों के सानिध्य से हर जगह सम्मान है,
दोगलापन आता नही मुझे,
ना ही चापलूसी, चाटुकार हु,
दुनिया भर में रिश्ते नाते बहुत है मेरे,
प्रेम की बाते दुनिया में जो फैला रहा,
प्रेम मोहब्बत का पैगाम कविताओ से पहुंचा रहा,
पर में अपनों रिश्तों से कंगाल हु,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184

Language: Hindi
1 Like · 157 Views
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