फितरत
फितरत
रंग बदलती दुनिया में,
हर चीज बदल रही है,
क्या इंसान क्या फितरत,
हर पल आगे सरक रही है।
नज़दीकियाँ मज़बूरी लगें ,
दूरियाँ शायद जरूरी समझें,
प्राइवैसी का जमाना, है कहें,
अपनों से स्वयं की दूरी रखें।
सोचते हैं खुद को समझदार हो गए हैं,
फितरत वही, दिमाग ऊँचे हो गए हैं,
सूपिरियोरिटी कम्पलैस में जी रहे,
दूसरों से बचकर निकलने लगें हैं ।
नहीं जानते अपनों का महत्व,
जीवन अकेले न होगा बेहतर,
सामाज से दूर, है जीना दूभर,
सोचो कैसे मिलेगा अपनत्व।
यह तो दुनिया की रीत है,
मिल-जुल कर रहना गीत है,
सुख दुख के साथी बनना है,
दुनिया में जो आगे बढ़ना है।
हम से ही तो दुनिया है,
रखना सदा यह बात याद,
मैं को बीच में ना आने देना,
हम का देना सदा ही साथ।
दुनिया में सबसे अलग है भारत का नाम,
हमारे संस्कार हमारी संस्कृति की पहचान,
अपनी पहचान को बनाए रखना है,
दुनिया में गर्व से सिर उठा चलना है।
जय हिंद ,जय भारत🙏
नीरजा शर्मा