फितरत
अगर फितरत को वाटिका का नाम दूँ तो उस में हर्ज ही क्या है ?
अगर परिस्थितियों को बिन बुलाए मेहमानों का नाम दूँ तो उस में हर्ज ही क्या है।
यह बिन बुलाए घातक आगंतुक इस उपवन के फ़ूलों के साथ इतनी छेड़खानी करते हैं कि इसकी कुदरती सोंदर्य ही खो जाती हैं।
अखिर में फितरत ही तबदील हो जाती है।