फ़िरक़ापरस्ती कबूल नहीं
हुई थी जो सन् सैंतालीस में
फिर होने वाली वह भूल नहीं!
बस प्यार से चलेगा यह देश
तुम नफ़रत को दो तूल नहीं!!
दीन-धरम ने पहले ही क्या
कम नुकसान किया है हमारा!
अब किसी शर्त पर हमें यहां
फ़िरक़ापरस्ती कबूल नहीं!!
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