फ़ितरत
फ़ितरत में जब फ़ितूर होता है।
तब इंसान ख़ुद शरूर होता है।।
बाहर से तो बिल्कुल बा-शु’ऊर।
और अंदर से बे-शु’ऊर होता है।।
ज़ुबाँ में होती शहद सी मिठास है।
पर दिल में तीखा ग़रूर होता है।।
ग़रज़ हर किसी से है वो दिखाता।
और ख़ुद ख़ुदग़र्ज़ ज़रूर होता है।।
अपने फ़ितरती होने की वज़ह से।
वो शख़्स सब से कोसों दूर होता है।।
© मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया