“फंदा”
“फंदा”
आजकल फंदा भी धंधा है
कस देता शिकंजा है
फंदा चाहे फाँसी का हो
चाहे हँसी का हो
जान दोनों ही लेते हैं
वो जीने नहीं देते हैं।
-किशन टण्डन क्रान्ति
“फंदा”
आजकल फंदा भी धंधा है
कस देता शिकंजा है
फंदा चाहे फाँसी का हो
चाहे हँसी का हो
जान दोनों ही लेते हैं
वो जीने नहीं देते हैं।
-किशन टण्डन क्रान्ति