प्ले स्कूल हमारा (बाल कविता )
प्ले स्कूल हमारा (बाल कविता )
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
एक बार आकर तो देखो
प्ले स्कूल हमारा ,
रोज चलाते इसमें गाड़ी
लगता कितना प्यारा।।
रंग- बिरंगी दीवारें हैं
रहती साफ- सफाई,
खेल- खेल में जाने कब
हो जाती रोज पढ़ाई ।।
कमरे में शीशे से झांको
बंदर हाथी घोड़ा,
प्लास्टिक की कुर्सी लगती है
एक खिलौना थोड़ा।।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451