प्रेम
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प्रेम की बातें सब करें,
सार न जाने कोय।
पगला सा जग दिखे,
प्रेम प्रकट यदि होय।
प्रेम पथिक न बन प्रिय,
प्रेम हवन की आग।
विरला पाता है तभी,
जागे जब सौभाग्य।
प्रेम त्याग वैराग्य है,
प्रेम विरह की आह।
होना पड़ता प्रेम में,
आहुति बनकर स्वाह।
महंगा दुर्लभ कठिन है,
प्रेम तरल न सरल।
सच पूंछो तो प्रेम है,
जलधि मथन का गरल।