#प्रेम#
प्रेम में जाने क्या सिलसिले हो गए,
हम तुम्हारे हुए तुम मेरे हो गए।
कुछ पता न चला कैसे क्या हो गया,
नींद भी खो गई चैन भी खो गया।।
हर जगह मुझको बस तेरा चेहरा दिखे,
हम तुम्हारे हुए तुम मेरे हो गए ।
प्रेम में जाने क्या सिलसिले हो गए……
बिन तेरे अब कहीं मेरा दिल न लगे,
काम कुछ भी करू मेरा मन न लगे।।
ख्वाब में आना जाना शुरू हो गया,
मुझको इस बात का भी पता न चला।।
धड़कनों में मेरे आप शामिल हुए,
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए।।
प्रेम में जाने क्या सिलसिले हो गए……
मैं बनी रुकमणी, श्याम तुम बन गए,
मैं सीता बनी, राम तुम बन गए।
चांद के साथ जैसे चकोरी सजे,
सात जन्मों तलक आप मेरे हुए।
रिश्ता एहसास का आपसे जुड़ गया,
जिस्म दो एक और जान हम हो गए ।।
आप तुम से दोनो हम हो गए ,
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए ।
प्रेम में जाने क्या सिलसिले हो गए।।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ