प्रेम
बहुत मुश्किल है
प्रेम में प्रेम हो जाना
कभी देखा है
पतझड़ में
शाख को पत्तियों
से अलग होने
पर आंसू बहाना
किसी पहाड़ का
टूट कर नदिया
में गिरना
और नदिया का
ठहर जाना
शाखों पर
नई पत्तियां आएंगी
और नदिया बहती
जायेगी….
नहीं रुकेगी
किसी पत्थर
के लिए
अच्छा सुनो
क्या तुम
प्रेम स्वीकार
कर पाओगे
उसी सहजता से
जितनी सहजता से
सांसे लेते हो …..
नहीं न
प्रकृति की तरह
तुम्हें भी आगे बढ़ना
होगा नयी पत्ती की
तरफ़
या फिर नये किनारों
की तरफ़।