प्रेम लिख दूँ
प्रेम लिख दूँ या बहारे लिख दूँ
क्या मैं तुम्हें अक्षर सारे लिख दूँ ।।१
आँखे तुम्हारे कैलकुलस से लग रहे
इन्हे सुलझाने भूले हुए पहारे लिख दूँ ।।२
डूब चुकी मेरी नौका तुम्हारे त्रिज्या में
कहो तो अब खुद को बेचारे लिख दूँ ।।३
तुम आई ख़ुशी लाई जिंदा लगने लगा मैं
अर्थात ग़ज़लों में ज़रा दर्द किनारे लिख दूँ ।।४
तुम्हारे बदन को एक खोज अनोखा और
मन को स्याह से खूबसूरत बंजारे लिख दूँ ।।५
जिन्हें तुम मिली नहीं करीब होते हुए भी
उन्हें खुशकिस्मत या वक़्त के मारे लिख दूँ ।।६
मेरा अगर अभी चल पाए तो हर पन्नो पे
तुम्हें अपना और खुद को तुम्हारे लिख दूँ ।।७
@कुनु