प्रेम पुजारिन
प्रेम पुजारिन
**********
चुन चुन कर अल्फाज़ पिया
इक अदभुत रेल बनाई है।
जीवन के ऊबड़ खाबड़
रस्तों पर खूब चलाई है।
तू श्याम सलौना है मेरा
तेरे अदभुत खेल नज़ारे हैं।
कदमों में भगवन अब तेरे
धरती अम्बर सब वारे हैं।
हर क्षण हर पल इधर उधर सब
तेरा ही सरमाया है।
ध्यान लगाया जब से तेरा
खुद में तुझको पाया है।
जी करता है प्रतिपल मेरा
लय तुझमें हो जाऊँ मैं।
दुनियाँ के सब तोड़ के बन्धन
तुझमें आज समाऊँ मैं।
पूर्ण समर्पित होकर तुझको
पल पल नाथ पुकारे हैं।
कदमों में भगवन हम तेरे
तन मन धन सब हारे हैं।
धन दौलत ये रुपया पैसा
हीरे मोती ना चाहूँ।
चरण पखारूँ नित दिन तोरे
बस इतनी सेवा पाऊँ।
केवल तुझको मागूँ तुझसे
और नहीं कुछ प्यारा है।
प्रेम पुजारिन जोगन ‘माही’
खुदको तुझ पर वारा है।
© ® डॉ०प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला