प्रेम-पत्र
तुम्हारा प्रेम-पत्र
जेहन में अब भी जिन्दा है,
अब भी जिन्दा है
उसमें लिखे हुए हर एक शब्द,
अब भी जिन्दा है
उसमें छुपी हुई तमाम मासूम भावनाएँ।
वो कोई साधारण कागज नहीं
बल्कि स्वर्ण-पत्र से भी कई गुने बहुमूल्य,
उसमें लिखे हुए शब्द
साधारण सियाही के नहीं
आत्मा से निकले खून के थे,
उसके मजमून
कोई किताबी कविता नहीं
दिल से निकले जज्बात थे,
उससे गूँजते स्वर
मुँह से नहीं रूह से निकले थे।
मगर सारी दुनिया की क्रूर-दृष्टि
बस उसी में थी,
हवा उड़ाकर ले जाना चाहती
समन्दर की गहराई डुबाना चाहती
बारिश गलाना चाहती
आग जलाना चाहती,
आखिरकार मैं नितान्त अकेला
कब तक बचाता तुम्हारा प्रेम-पत्र।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
(दुनिया के सर्वाधिक होनहार लेखक के रूप में विश्व रिकॉर्ड में दर्ज टैलेंट आइकॉन-2022)