प्रेम की राह पार्ट 1
प्रेम में तुम्हारे नाम को हम इस कदर शिद्दत से सोचते हैं जैसे हम किसी मंदिर में अपने इष्ट देव का नाम स्मरण करते हैं ….. हाँ ठीक वैसे ही तुम्हारे प्रेम के अनछुए स्पर्श को यूं महसूस करते हैं या करने की कोशिश करते हैं..
जैसे किसी मंदिर में ईश्वर के समक्ष कि गई प्रार्थनाओं के लिए पवित्र मन्नतों के धागे बांध रहें हों हम तुम्हारे लिए..पूजा करा रहे हों तुम्हारे लिए…हाँ ऐसे बसे हो तुम मुझमें तुम कैसे हो कौन हो कहा हो नहीं जानते पर हृदय की गहरायी से तुम्हारे प्रेम की अनंत प्रतिक्षा मे है हम❤️
कौन तुम मेरे हृदय में..?!!
(स्वरा कुमारी आर्या)✍️