प्रेम की नाव
वर्तुल सी दुनिया, और शून्य सा भाव,
चल पड़ी जिंदगी, वह भी नंगे पांव,
शब्द है अनाड़ी और अर्थ के हैं विकल्प,
चुनते सब शहर हैं, कहते हैं गांव,
ठहरा हुआ है चिंतन और चिंता के रूप कई,
खुद के शतरंज पर जीत रहे दांव,
मर गई है आत्मा, सो गया ज़मीर,
छलावे में जी रहे प्रेम की है नाव।